लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (26)
जहाँ एक ओर रिषभ और मोहन अपनी जीत का जश्न मना रहे थें......वही दूसरी ओर अलका ने सारा सामान पैक कर लिया था......ओर रोहित भी रश्मि की मम्मी को दिखाकर वापस हास्पिटल लौट रहा था।
हास्पिटल पहुंचते ही रोहित ने अलका को यहाँ से चलने के लिए सारा प्लान समझाया.....।
रोहित ने अलका ओर रश्मि की मम्मी को बताया कि हम रश्मि को ऐसे ही यहाँ से नहीं ले जा सकते क्योंकि .....उसे नहीं पता हैं कि .....वो अभी दिल्ली में हैं....। इसलिए हमें उसे यहाँ से बेहोशी की हालत में ले जाना होगा....। मैंने डाक्टर से एक ऐसी दवाई ले ली है जिससे वो कुछ घंटो के लिए सो जाएगी। उस वक्त हम यहाँ से निकल चलेंगे। ये दवाई रश्मि को कोई नुकसान नहीं करेगी।
रोहित ने अपने जेब से एक पैकेट निकाल कर अलका को देते हुए कहा :- इसमे वो दवाई हैं....जो रश्मि को जूस में डाल कर देनी हैं....।
ये लो अलका ओर रश्मि को दे दो। कुछ देर बाद जब वो सो जाएगी तो हम यहाँ से तुरंत निकल चलेंगे...।
अलका ने पैकेट लिया ओर रश्मि के कमरे में चलीं गई।
कहाँ चली जाती हैं.....यार .....तु बार बार। हम अब चल रहें हैं ना यहाँ से.....?
एक साथ इतने सारे सवाल करेगी तो मैं एक का भी जवाब नहीं देने वाली.....समझी तु....।
अभी सारे सवाल बंद कर ओर चुपचाप ये जूस पी ले ओर आराम कर।
क्या यार अलका....बार बार ये आराम कर....आराम कर ....सुन सुन कर मैं थक गई हूँ...., जब मैं कह रही हूँ कि .....मैं ठीक हूँ....तो ये सब क्या हैं....। तु तो मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाती थीं.....फिर तु क्युं ऐसा कर रही हैं...., ओर मम्मी को यहाँ क्यूँ बिठाया हैं.....तुझे पता हैं ना .......उनकी खुद की तबियत ठीक नहीं हैं......ओर ये रोहित सर यहाँ क्युं आए हैं....? कबसे पुछ रहीं हूँ....अलका! क्यूँ मुझे कोई कुछ बता नहीं रहा हैं....। देख अलका जब तक अब तु मुझे सब कुछ नहीं बताएगी ....तब तक मैं कुछ नहीं पीने वालीं।
ओहहो.....अब मेरी जान .....मुझ पर गुस्सा भी करने लगी हैं...।
अलका जुस के गिलास में रोहित के द्वारा दी हुई दवाई डालकर रश्मि के पास बैठकर बोली :- हां मैं जानती हूँ....तु बिल्कुल ठीक हैं...., इसलिए हम अभी यहाँ से चल रहे हैं ....तु बस ये जुस फटाफट खत्म कर ओर फिर चल।
रश्मि ने मुंह बनाते हुए गिलास लिया ओर जुस पी लिया।
जुस पीने के थोड़ी देर बाद ही रश्मि सो गई।
रश्मि के सोते ही अलका ने तुरंत रोहित को बुलाया।
रोहित ने रश्मि को अपनी बाहों में उठाकर अपनी गाड़ी में बिठा दिया।
रश्मि की मम्मी ओर अलका भी गाड़ी में बैठ गए। रोहित डाक्टर से बात करके उनका सारा बिल क्लियर करके....अपनी गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर आया ओर तेजी से ड्राइव करने लगा।
अलका रश्मि का ध्यान देते रहना अगर लगे उसे होश आ रहा है तो बताना।
रोहित ड्राइव करते हुए बोला।
हां रोहित...।
आंटी आप भी थोड़ी देर सो जाइए। हमें अभी घर पहुंचने में समय लगेगा।
हां बेटा...।
रश्मि और उनकी मम्मी...दोनों बैक सीट पर सो रही थीं।
अलका आगे बैठी थीं.....पर उसका सारा ध्यान पीछे रश्मि की तरफ ही था।
तभी अलका को राहुल का फोन आया।
हैलो राहुल....।
अलका कहाँ हो तुम लोग यार....। रश्मि से अभी तक तुमने बात नहीं करवाई....। ना ही रश्मि ने किसी मेसेज का अब तक जवाब दिया हैं....। मेरा दिल बहुत घबरा रहा हैं अलका....। प्लीज सच सच बताओ क्या बात हैं...., तुम्हे मेरी कसम हैं....।
राहुल हम लोग घर के लिए ही निकले हैं, रास्ते में ही हैं। बस कुछ घंटो में पहुँच जाएंगे...।
वो सब ठीक हैं....., पर रश्मि कहाँ हैं...., पहले मेरी उससे बात करवाओ....। उसका फोन कबसे बंद आ रहा हैं...।
राहुल मेरी बात सुनों।
अलका ने राहुल को बताया की उसकी तबियत थोड़ी ठीक नहीं हैं.....इसलिए वो घर वापस आ रहें हैं..।
व्हाट..... इतना सब कुछ हो गया ओर तुम मुझे अब बता रही हो...!
राहुल वहाँ हालात ही ऐसे हो गए थें, कुछ समझ नहीं आ रहा था।
ठीक हैं, छोड़ो वो सब .....अभी तुम लोग कहा पहुंचे हो....वो बताओ....। मै आ रहा हूँ वहाँ.....। मैं रश्मि को अब किसी हाल में ऐसे नहीं छोड़ सकता।
राहुल इसकी कोई जरूरत नहीं हैं.....हम बस वहाँ पहुंचने ही वाले हैं....।
प्लीज अलका , मुझे तुम्हारी लोकेशन भेजो अभी प्लीज....। रिक्वेस्ट कर रहा हूँ तुमसे....। मुझे देखना हैं रश्मि को यार.... वो बिमार हैं ओर.... मैं....
ठीक हैं.... राहुल। भेज रहीं हूँ....अभी।
करीब एक घंटा ही हुआ था......उनको चलते हुए की रोहित ने देखा आगे सड़क पर एक जगह काफी लोग इकट्ठा खड़े थें...। रोहित हार्न पर हार्न बजा रहा था ....पर वो लोग सड़क से हट ही नहीं रहे थें....।
अलका लगता हैं......कोई एक्सीडेंट हो गया है आगे। इतने लोग सड़क पर जमा हैं....।
हां रोहित, लगता तो कुछ ऐसा ही हैं....।
रोहित ने कार सड़क के साइड में रोकते हुए कहा :- तुम यही रुको अलका मैं देखता हूँ....। हमे रास्ता निकाल कर जल्दी से यहाँ से निकलना होगा वरना रश्मि को होश ना आ जाए...।
हां रोहित, प्लीज जल्दी से देखो।
रोहित कुछ ही कदम गया था की वो तुरंत वापस अपनी कार में आ गया।
क्या हुआ रोहित...?
रोहित बिना कुछ बोले कार स्टार्ट करने लगा।
अलका ये मेरा मोबाइल लो ओर तुरंत इस नम्बर पर फोन करो....। रोहित ने एक विजिटिंग कार्ड देते हुए कहा......।
रोहित बात क्या हैं.....!
अलका वो लोग रिषभ के हैं....। मैं उनमें से जानता हूँ....कुछ लोगों को....।
रोहित जैसे ही कार ड्राइव करने लगा, सामने खड़े लोगों ने भी सामने की ओर से अपनी गाड़ियां रोहित की ओर बढ़ा दी।
रोहित उनको आते देख अपनी कार को रिवर्स में ड्राइव करने लगा....। लेकिन पीछे से भी कुछ गाड़ियों ने रोहित की कार को घेर लिया.....।
रोहित ने मौके की नजाकत को समझते हुए....। अपनी कार साईड में मोड़ दी...। वो रास्ता बहुत ही सुनसान, ओर उबड़ खाबड़ था.....। पर रोहित के पास ओर कोई रास्ता नहीं था।
अलका तुमने फोन किया...?
हां रोहित उन्होंने लोकेशन मांगी। मैंने भेजी हैं....उनको।
ओके गुड.... तुम बस पीछे ध्यान रखो। इन लोगों से मैं निपट लुंगा...।
इस उबड़ खाबड़ रास्ते की वजह से रश्मि की मम्मी उठ गई थीं।
क्या हुआ अलका हम ये जंगल के रास्ते क्युं जा रहे हैं।
उन्होंने पुछा।
आप टेंशन मत लो आंटी .....बस रश्मि का ध्यान रखो....। रिषभ के लोग हमारे पीछे है, इसलिए हम ये रास्ते से जा रहे हैं....।
रोहित जंगल के रास्ते में भी बहुत तेज ड्राइवींग कर रहा था....।
# कहानीकार प्रतियोगिता.....
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आखिर रिषभ क्यूँ पीछे पड़ा था...?
जानते हैं अगले भाग में...।